Sunday, September 19, 2010

धन्यवाद का उधार

अचानक कन्धे थक कर चूर हो गये
दिल भर गया और
दिमाग सोचने लगा कि
अभी कितने धन्यवाद शेष है
जो सही समय पर नही दिए गये
और जब दिए तो
उन पर औपचारिकता की चासनी चढी थी
उधार की जिन्दगी जीते-जीते
यह भूल गया हूँ कि
धन्यवाद का खास समय होता है
बाद मे इसका अर्थ
अनर्थ मे बदल भी सकता है
धन्यवाद उन मित्रों का जिन्होने
बुरे वक्त मे
केवल साथ दिया बल्कि
वो हौसला भी जिसकी कमी मे
मै क्या तो आत्महत्या कर सकता था
या पलायन मजे से
धन्यवाद उनका भी उधार है
जिन्होने नासूर मे नश्तर चुभोए
रिस-रिस कर आते लहु की हर बून्द ने
अपने होने का अहसास कराया हरे
जख्मों को दवा-पट्टी तभी संभव हो पाई
जब इसमे मवाद हो गयी थी अपनेपन की
वाह-वाह के दो शब्द जब-जब मुझे मिले
तब-तब मुझे वो दोस्त याद आएं
जिनकी प्रेरणा से,सलाह और नसीहत
से मेरी बैचेनी बढी
और लिखी कविता,गज़ल
अब तो याद भी नही है कि
कितने धन्यवाद मुझ पर उधार है
अपने पराये सबके
ये शब्द ही बडा अजीब है
कहने को शिष्टाचार
मिलनसार होने का व्यापार
अब जब मै बेतरतीब जीने का
आदी हो गया हूं
ऐसे मे मुझ से धन्यवाद की उम्मीद रखना
बेमानी ही है
फिर भी जिस-जिस का धन्यवाद
मुझ पर उधार है
वो लौटा रहा हूं बिना ब्याज के
ताकि मेरे होने पर
वें मेरा जिक्र करके ब्याज़ को
याद करते हुए मुझे गरिया सके
और अचानक कोई एक मेरा परिचित
यह कहे कुछ भी हो
आदमी ज़बान कडवा था
पर दिल का नही...
जिस पर मेरे मित्र ,परिचित हैरान होकर
विषय बदल कर सेसेंक्स का जिक्र छेड दें
उधार का धन्यवाद तरसता रहे मित्रों के बीच मे
और सब मशगूल हो अपने-अपने
म्यूचल फंड की रिकवरी में...
मै चाहता हूं कि वो दिन इतिहास मे दर्ज हो
एक शाम मित्रो के सेसेंक्स के नाम
रिश्तों की धरोहर पर
धन्यवाद का काम
फिर भी यदि किसी का
जाने अनजाने मे धन्यवाद शेष है
तो मुझे खेद है
इसके अलावा कोई शब्द बचता ही नही
धन्यवाद का उधार उतारने के लिए
अगर बचता तो शायद मै भी बच जाता
खुद धन्यवाद देने के लिए...
डा.अजीत

4 comments:

वीना श्रीवास्तव said...

उम्दा रचना
http://veenakesur.blogspot.com/

Apanatva said...

kabhee kabhee khamoshee aur aakho me aae udgar itna kuch kah jate hai ki shavd muh taakte rah jate hai.apanepan ke saye tale to aupcharikta paltee bhee nahee .
aapkee rachana jhakjhorne walee hai chintan ko Aabhar

ज्योति सिंह said...

sachmuch bahut achchhi rachna hai ,dhanyawaab vastav me unhe hi karna chahiye jo hamari madd karte hai mushkil waqt me .ati uttam .

संजय भास्‍कर said...

bahut khoobsurt
mahnat safal hui
yu hi likhate raho tumhe padhana acha lagata hai.