Sunday, August 3, 2014

नादां

इरादतन नही मगर दिल दुखाया तो है
आदतन तुमने ये जख्म छिपाया तो है

दुनिया के लिए लाख बुरा हूँ  मै
रोते हुए अक्सर तुझे हंसाया तो है

अदब ने तुझे समझदार बना दिया
ऐब ने हमें भी फन सिखाया तो है

नादान उसकी फकीरी पर तंज न कर
शोहरत को उसने फूंक से उड़ाया तो है

दोपहर से तन्हाई मेरी महक रही है
दुपट्टा अश्कों का कहीं सुखाया तो है

© अजीत







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