Saturday, October 4, 2014

नामुकम्मल

कहकहों से ऊब रहा हूँ मै
सूरज थाअब डूब रहा हूँ मै

तवज्जो नसीब नही अब
कभी बहुत खूब रहा हूँ मै

बेवफा जो कहते है मुझे
उनका महबूब रहा हूँ मै

भूलना कोई उनसें सीखे
जिनका मंसूब रहा हूँ मै

© डॉ. अजीत

1 comment:

सुशील कुमार जोशी said...

तुम आदमी ठीक नहीं हो ।