Monday, February 23, 2015

पिता

पौरुष के तमाम
पौराणिक अभिमान के बीच
यह मेरी सबसे बडी ज्ञात हीनता है कि
एक बेटी का पिता नही हूं मैं
बेटी का पिता होने का अर्थ है
दरख्त का घना होना
चिडियाओं की भाषा पता होना
खुशियों की घर में दस्तक होना
जटिल से सरल होना
यदि विज्ञान इसकी आश्वस्ति देता हो तो
निसन्देह एक बेटी का पिता होना चाहता हूं मैं
ताकि घर मे बची रहे कविता
उत्सवों मे रौनक
और घर के बेटों में तहजीब
अजन्मी बेटी की कल्पना भर
भर देती है अंतस का रिक्त आकाश
जगाती है उम्मीद कि
दुनिया उतनी भी बुरी नही है
यहां लडा जा सकता है कुछ दिन और
बात बेटा और बेटी मे भेद की नही है
दरअसल
घर में बेटी का होना
उस अहसास का होना है
जिसके जरिए
एक बेहतर इंसान बनने के बारें मे
सोचा जा सकता है
मनुष्य के अन्दर बची रही मनुष्यता
इसके लिए बेहद जरुरी है
एक बेटी का पिता होना
साल भर घर मे पसरें
पुरुषोचित व्यवहार
और नीरस होते त्योहार में
अक्सर सोचता हूं
कितना अभागा है
पिता होते हुए भी
एक बेटी का पिता न होना
यह ऐसी ज्ञात निर्धनता है
जो और गरीब करती जाती है
मुझे हर साल।


© डॉ.अजीत

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