Tuesday, January 12, 2016

यात्रा

तकरीबन
साल भर हमारी
बोलचाल बन्द रही
छ महीनें हमनें
एक दुसरे की शक्ल नही देखी
तीन महीनें
एक दुसरे से बेखबर रहें
और एक महीना
भूल जाने का नाटक किया
मगर
इस एक साल में एक भी पल ऐसा नही था
जब एक दूसरे को हमनें महूसस न किया हो
तब ये जाना
तमाम शिकायतों और नाराज़गियो के बावजूद
प्रेम मृत नही होता
हां प्रेम स्थगित जरूर हो जाता है
मानवीय कमजोरियों के समक्ष।
***
पिछले हफ्ते
तुम्हारा खत मिला
खत में जगह जगह तुम उदास बैठी मिली
मैने खत को जैसे ही
बायीं जेब रखा
तुम खिल उठी
दरअसल तुम दिल की धड़कनों को
करीब से सुनना चाहती थी
ये काम खत के जरिए
अंजाम दिया मैंने।
***
एकदिन तुमनें कहा
कल ऐसा नही रहेगा
बदल जाएगा सब
छूट जाएगा सब
मैं तुम्हारा हाथ पकड़ तुम्हें
कल की बजाए सीधा परसों में ले गया
जहां साथ चाय पी रहे थे हम
इस बात पर तुम हंस पड़ी
तुम्हारी हंसी में कल खो गया था
खुद ब खुद।
***
आज तुमनें
शिकायत करते हुए कहा
तुम्हारे तलबगार बहुत से लोग है
मैं कहीं नही हूँ
मैंने तुम्हारे कान में
लोग और तुम में फर्क करने का सूत्र बताया
तुम सच में खुश हुई
ये जानकर
मुझे भेद करना आता है
तुम चाहती थी
इतनी चालाकी हमेशा बची रहे मेरे अंदर।
***
अभी अभी तुम्हारा
एसएमएस मिला
'फॉरगेट एंड फोरगिव मी'
सोच रहा हूँ
इस बात पर
तुम्हें चाय पर बुलाऊँ
और फिर बताऊँ
ना मुझे अंग्रेजी आती
ना अनुवाद
और ना वो करना जो तुम कह रही हो।

© डॉ.अजित

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