Tuesday, April 26, 2016

एकदिन

एकदिन पूछा मैंने
तुम्हारा वो दोस्त मुझसे अच्छा है क्या?
उसनें बड़े आत्मविश्वास से पलक झपकतें हुए कहा
हां ! वो तुमसे कई मामलें बहुत अच्छा है
मैंने कहा फिर मुझसे ये मेल मिलाप क्यों?
थोड़ी गम्भीर होते उसनें कहा
मुझे कम अच्छे लोग पसन्द है
इसलिए।
***
मैंने एकदिन कहा
क्या तुम्हारा वो दोस्त तुम्हें मेरे जितना समझता है
उसनें कहा हां ! तुम मुझे बिलकुल उतना नही समझते
जितना वो समझता है
इस मैं थोड़ा उदास हो गया
उसनें मेरे हाथ अपने हाथ में लेकर
बिना पलकें झपकें कहा
वो केवल मुझे समझता है
तुम मुझे जीते हो
इसलिए दोनों में कोई बराबरी नही है
उस वक्त मेरे चेहरे पर जो मुस्कान थी
वो इतनी असली थी कि चमक रही थी तुम्हारी आँखे।
***
मैंने एकदिन पूछा
अगर किसी दिन तुम्हें चुनना पड़े
हम दोनों में से कोई एक
तब तुम क्या करोगी, किसे चुनोगी?
किसी को भी नही
उसनें दृढ़ता से कहा
फिर क्या करोगी
हंस पड़ी ये सुनकर
फिर बोली रोया करूंगी तन्हाई में
ये सोचकर
दो समझदार पुरुष भी नही सहेज पाए मुझे।
***
एकदिन उसको देख
भावुक हो किसी बात पर
रो पड़ा मैं
उसने कुछ नही कहा
फिर अचानक बोली
तुम्हारे लायक नही ये दुनिया
यहां तक मैं भी नही
तुम गलत वक्त पर पैदा हुए हो
हो सके तो
इतंजार करना मेरा अगले जन्म तक
इतना कहकर वो रो पड़ी
थोड़ी देर हम दोनों खामोश रहे
फिर हंस पड़े कैंटीन का बिल देखकर।

©डॉ. अजित

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