Friday, October 14, 2016

याद

उस दिन उसे बुखार था
मैंने ब्लड टेस्ट कराने के लिए कहा
लक्षणों की गैर डाक्टरीय व्याख्या की
अनुमान से कुछ दवाएं भी बताई
उसकी कलाई पकड़कर
नब्ज़ गिनने का अभिनय किया
तापमान पूछा सेल्सियस में
फ़िक्र करते हुए कुछ खाने पीने के परहेज़ बताएं
आराम करने जैसी औपचारिक सलाह दी
बस वही एक जरूरी काम नही किया
जो करना चाहिए था
उसे गले नही लगाया मैने
तमाम काम जो मैने बताएं
वो बिन मेरे भी कर सकती थी
उसने मेरा बताया एक भी काम नही किया
हां ! उस दिन उसने साधिकार मुझे गले लगाया
जिस दिन बुखार था मुझे
ज्ञान से बढ़कर था उसका वो स्नेहिल स्पर्श
एक ही बीमारी ने बदल दी थी हमारी दुनिया
बुखार के जरिए जान पाया मैं
नजदीक होने का अर्थ
जो याद आता रहा हमेशा
हरारत से लेकर बुखार तक।

© डॉ.अजित


2 comments:

सुशील कुमार जोशी said...

सुन्दर ।

HindIndia said...

बहुत ही उम्दा ..... बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति .... Thanks for sharing this!! :) :)